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माँ शारदे ! मैथिलि कबिता | Maithili Poem | Maithili Lekh |

माँ शारदे !

मैथिलि कबिता | Maithili Poem



माँ शारदे
वर यैह दे
हम मंगइत छी तोरासं|
मिथिलामे
जनम-जनम जनमी
मिथिला माइक कोरासं| माँ शारदे.......

अपन ज्ञान केर मधुर वारि हम धरती पर बरिसाबी 
पाथरहुमे भरि दी ह्रदय आर
मृतकोकें बिहुसि जियादी, 
हियमे ओ सुधा भरि दे | माँ शारदे .....

अनुपम अपन संस्कृतिकें हम दुनियामे फैलाबी 
हृदयहीनता,द्वेष,कलहकें दुनियासं बैलाबी,
कानमे ओ मंत्र कहि दे | माँ शारदे ........

सौंसे दुनियामे सबकें
हम त्यागक मन्त्र सिखाबी
आंगन-आंगन घर-घर बुलिकय
प्रेमक दीप जराबी,
ओ ज्योति-कलश भरि दे | माँ शारदे......

दुनिया एके स्वरसं गाबय
हिलि-मिलि विजयक गीत
गृह-उपग्रह,नक्षत्र आदि पर
होइ मानवक जीत,
सीढ़ी ओ सबल गढ़ि दे | माँ शारदे.....

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